तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
O Lord! I beseech Your assistance and seel your divine blessing at this pretty second. Conserve and protect me. Ruin my enemies with Your Trishul. Launch me within the torture of evil feelings.
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
Whosoever features incense, Prasad and performs arati to Lord Shiva, with adore and devotion, enjoys material pleasure and spiritual bliss in this environment and hereafter ascends on the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva eradicated the suffering of all and grants them shiv chalisa in hindi eternal bliss.
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥